डिजिटल डेस्क ( नई दिल्ली ):-
सम्पादन :- अश्वनी चौहान
दिल्ली की जीवनदायनी यमुना नदी में चल रहे सफाई अभियान ने शानदार प्रगति दर्ज की है | ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक यमुना नदी के जल की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और नदी के कई हिस्सों में पानी का स्वरुप पहले से बेहतर दिखाई देने लगा है |
बीजेपी को दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में 70 में से 48 सीटों पर बहुमत दिलवा कर 27 साल बाद दिल्ली की जनता ने बीजेपी पर भरोसा जताया | बीजेपी ने रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री घोषित करके यह जिम्मेदारी उनके कंधों पर सौंप दी , रेखा गुप्ता के द्वारा सत्ता के कुर्सी संभालते ही मिशन मोड़ में यमुना सफाई के काम को प्राथमिकता दी गई|
19 जुलाई 1974 को हरियाणा के जुलाना में जन्मी रेखा गुप्ता ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के दौलत राम collage से ग्रेजुएशन पूरी की , ग्रेजुएशन करने के बाद IMIRC Collage से उन्होंने LLB पूरी करी| शालीमार बाग से पहली बार विधायक चुनी गई रेखा गुप्ता दिल्ली में बीजेपी के दूसरी महिला मुख्यमंत्री बनी| इनसे पहले 12 अक्टूबर 1998 को सुषमा स्वराज बीजेपी की तरफ से दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी |
यमुना नदी के सफाई :-
यमुना को दिल्ली की जीवनदायनी भी कहा जाता है , दिल्ली में पानी का मुख्य स्त्रोत यमुना नदी ही है , पानी के स्त्रोत के साथ साथ यमुना दिल्ली चुनावों में राजनैतिक मुद्दा भी है क्यूंकि दिल्ली में यह नदी दिल्ली के इंडस्ट्रियल waste की वजह से बहुत ज्यादा प्रदूषित रहती है | 2020 में जब दिल्ली में aam aadmi party की सरकार बनी थी तब अरविन्द केजरीवाल ने भी यमुना सफाई की बात कही थी लेकिन धरातल पर कुछ ख़ास काम नहीं हो पाया और यमुना की स्थिति पहले जैसे ही रही |
रेखा गुप्ता ने मुख्यमंत्री बनने की बाद यमुना की सफाई को अपने सबसे जरूरी संकल्पों में रखा और यमुना की सफाई की लिये काम की शुरुआत हुई |
हालाँकि जानकारों का मानना है की सिर्फ कुछ मशीनो को उतारने भर से यमुना की सफाई नहीं होगी और इसके लिये व्यापक स्तर पर काम करना पड़ेगा जिसमे दिल्ली के इंडस्ट्रियल waste का समाधान करना सबसे जरूरी है , दिल्ली के अधिकाँश इंडस्ट्रीज अपना waste यमुना नदी में डालती हैं जिससे यह नदी लगातार प्रदूषण का शिकार बननी रहती है |
अगर सही नीयत और तरीके से काम किया गया तो यमुना का दिल्ली में कायाकल्प किया जाना कोई बड़ी बात नहीं है , भारत में इससे पहले भी गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती नदी का कायाकल्प किया जा चुका है जहाँ पहले साबरमती नदी के नाले का रूप ले चुकी थी अब एक फलता फूलता टूरिस्ट हॉट स्पॉट बन चुकी है |
दिल्ली में यमुना और गुजरात में अगर साबरमती नदी के तुलना के जाए तो कुछ बहुत ही रोचक तथ्य सामने आते हैं | यमुना नदी के पानी को दिल्ली आने से पहले हरियाणा के हथिनी कुंड barrage में रोक कर सिंचाई के लिये बनाए गए canals में छोड़ा जाता है उस के बाद बचे हुए पानी का कुछ परसेंटेज दिल्ली के तरफ छोड़ा जाता है | जबकि अगर साबरमती नदी की बात की जाए तो वहां नदी को जीवित रखने के लिये पानी सरदार सरोवर डैम से छोड़ा जाता है |
दिल्ली में जहाँ यमुना के पानी में industrial waste की मात्रा काफी ज्यादा होती है जिसकी वजह से इसे dead river भी कहते हैं, वहीँ साबरमती नदी का पानी सीधा डैम से छोड़ा जाता है और उसमे किसी भी तरह का कोई इंडस्ट्रियल waste नहीं होता है जिससे उसकी स्वछता बरकरार रहती है और उसमे जलीय जीवन भी पनपता है |
सफाई मिशन की प्रमुख उपलब्धियां :-
दिल्ली जल बोर्ड (DJB) और NGT ( राष्ट्रीय हरित अधिकरण) की मॉनिटरिंग टीम ने अभी हाल ही में जारी किये गई डाटा में कई अहम बातें साझा की :
. नदी के किनारे ड्रेन ट्रीटमेंट प्लांट के काम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं |
. प्रदूषण फैलाने वाले कई untreated सीवेज आउटलेट्स को बंद कर दिया गया है |
. नदी में डाले जाने वाले कचरे की मात्रा में 35% तक की कमी आई है|
सरकारी पहल और जनता का सहयोग :-
दिल्ली सरकार ने इस मिशन को लेकर कई योजनाएं लागू की हैं | मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा ” यमुना सिर्फ दिल्ली की नदी ही नहीं हमारी सांस्कृतिक धरोहर है “| सफाई अभियान को और तेज किया जाएगा ताकि यह फिर से जीवन दायनी धरा बन सके |
इसके अलावा स्थानीय NGO और आम नागरिकों की भागीदारी से भी इस अभियान को तेजी मिली है |
नदी की बदलती तस्वीर :-
रिपोर्ट्स के मुताबिक़ , यमुना के कुछ हिस्सों में पानी का रंग और गंध पहल की तुलना में बेहतर हुए हैं | कई जगहों पर जलकुम्भी हटाई गई है और किनारों को भी साफ़ किया गया है जिससे नदी का प्राकृतिक स्वरूप लौटने लगा है |
यमुना में सफाई के काम में आगे की चुनौतियां :-
दिल्ली में यमुना नदी में प्रदूषण का मुख्य सोर्स वजीराबाद नाले से शुरू होता है | यमुना के 375 किलोमीटर के हिस्से में इसके उद्गम स्थल यमुनोत्री से ओखला बराज तक पानी की गुणवत्ता बहुत अच्छी है | दिल्ली में वजीराबाद baraj और ओखला बराज के बीच 15 नालों के माध्यम से दिल्ली में अपशिष्ट जल का निर्वहन यमुना को बहुत प्रदूषित कर देता है |
वजीराबाद बैराज से ओखला बैराज तक यमुना के लम्बाई 22 किलोमीटर के है जो की इसके कुल लम्बाई का 2 % से भी कम है लेकिन नदी के कुल प्रदूषण का 80 प्रतिशत यहीं से होता है , जब तक इस हिस्से में सुनियोजित तरीके से काम नहीं किया जाएगा तब तक दिल्ली में यमुना की स्थिति बदल नहीं सकती |
अगर अभी इस 22 किलोमीटर की हिस्से में सफाई करने की बात की जाए तो अभी तक सरकार की तरफ से एक आदेश पारित किया गया है जिसमे इस 22 किलोमीटर की हिस्से में कूड़ा डालने पर प्रतिबंध लगाने की बात है अभी आगे और क्या किया जाएगा इसका रोडमैप तैयार किया जा रहा है |