नई दिल्ली ( भारत ):-
तारीख 3 अप्रैल 1984 , जगह सोवियत संघ के कजाख गणराज्य ( वर्तमान में कजाकिस्तान ) का बैकोनूर कॉस्मोड्रोम , समय सुबह के 6:30 am ( भारतीय समय अनुसार ) , सोयूज़ T-11 राकेट में राकेश शर्मा ने दो और सोवियत इंटरकॉस्मॉस यूरी माल्यशेव और गेनाडी स्ट्रेकलोव के साथ अंतरिक्ष के लिये उड़ान भरी , इस सफल उड़ान के साथ ही राकेश शर्मा दुनिया के 128 वें और भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री बने |
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है की अलग -अलग स्पेस एजेंसीज अपने स्पेस यात्रियों को अलग अलग नाम देती हैं , रूस ,अमेरिका, चीन सब के अलग अलग नाम हैं|
America | Astronaut |
Russia | Cosmonaut |
China |
Taikonaut |
राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में 7 दिन 21 घंटे और 40 मिनट का समय बिताया | इस दौरान उन्होंने वहां पर मानव शरीर पर गुरुत्वाकर्षण के कमी के कारण होने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जिसमे रक्त संचारण , मेटाबोलिस्म और अन्य शारीरिक क्रियाओं को गुरुत्वाकर्षण की कमी किस तरह प्रभावित करती है, इसके ऊपर अपनी रिपोर्ट तैयार करी|
राकेश शर्मा के साथ यहाँ पर उनके बैकअप के तौर पर रवीश मल्होत्रा को भी तैयार किया गया था , ताकि अगर किसी स्थिति में राकेश शर्मा अंतरिक्ष में न जा पाएं तो रवीश मल्होत्रा उनकी जगह ले सकें लेकिन सब कुछ अपने तय योजना के तहत हुआ और राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बने |
आज 76 वर्षीय राकेश कुमार और 80 वर्षीय रवीश मल्होत्रा अपने अपने परिवारों के साथ अपना -अपना जीवन किसी भी चकाचौंध से दूर शान्ति से बिता कर रहे हैं|
राकेश शर्मा 11 अप्रैल 1984 को सुबह 3:10 am (IST) पर वापिस लौट आए |12 अप्रैल 1984 से लेकर 24 जून 2025 तक कोई भी भारतीय अंतरिक्ष में नहीं गया , भारतीय मूल की कल्पना चावला और सुनीता विल्लियम्स ने इस दौरान अंतरिक्ष की यात्रा की ,लेकिन उन दोनों के पास ही भारतीय नागरिकता नहीं थी|
कल्पना चावला :-
कल्पना चावला जो की 17 मार्च 1962 को भारत के हरियाणा के करनाल में पैदा हुए थी , कल्पना चावला ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा टैगोर पब्लिक स्कूल करनाल से प्राप्त की थी ,उसके बाद उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज , चंडीगढ़ से अपनी इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करके 1982 में अपनी डिग्री हासिल करी | इसके बाद वे 1982 में ही आगे की पढाई के लिये अमेरिका चली गयीं |
कल्पना चावला मार्च 1995 में नासा के अंतरिक्ष यात्री समूह में शामिल हुईं ,और उन्होंने 1997 में अंतरिक्ष के लिये अपनी पहली उड़ान भरी थी | 19 नवंबर 1997 को छः और अंतरिक्ष यात्रियों के दल के साथ अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एस टी एस – 87 से कल्पना चावला का अंतरिक्ष का सफर शुरू हुआ |
कल्पना चावला की अंतरिक्ष के लिये दूसरी उड़ान 16 जनवरी 2003 को अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान STS- 107 के साथ हुई , इस मिशन के दौरान स्पेस शटल कोलंबिया के क्रू ने लगभग 80 प्रयोग किये |
1 फ़रबरी 2003 को धरती पर वापिस आते वक़्त स्पेस शटल कोलंबिया स्पेस में हादसे का शिकार हो गया ,जिसमे कल्पना चावला समेत सभी क्रू मेंबर्स की दर्दनाक मौत हो गई| अंतरिक्ष में उनका दूसरा मिशन ही आखिरी साबित हुआ|
भारतीय समय अनुसार रात को 8 बजे के आस पास उनका अंतरिक्ष यान धरती के वायुमंडल में री एंट्री के दौरान हादसे का शिकार हुआ |
सुनीता विल्लियम्स :-
कल्पना चावला के बाद भारतीय मूल के दूसरी महिला जिन्हें अंतरिक्ष में जाने का मौका मिला| 19 सितम्बर 1965 को अमेरिका के Ohio के Euclid में जन्मी सुनीता विल्लियम्स के माता पिता का ताल्लुक भारत के गुजरात के मेहसाणा जिले से है|
सुनीता विल्लियम्स ने अपने अंतरिक्ष का सफर 9 दिसंबर 2006 को अंतरिक्ष यान डिस्कवरी की उड़ान STS -116 से शुरू किया | सुनीता विल्लियम्स ने अभी तक अंतरिक्ष में 9 spacewalk किये हैं , जो किसी भी महिला द्वारा अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा spacewalk में दूसरे नंबर पर है | सुनीता ने अभी तक अंतरिक्ष में 608 दिन और 19 मिनट बिताए हैं , जिसमें उनके द्वारा 62 घंटे और 6 मिनट का spacewalk शामिल है |
शुभांशु शुक्ला :-
10 अक्टूबर 1985 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मे ग्रुप कप्तान शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना में टेस्ट पायलट होने के साथ साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) में एस्ट्रोनॉट भी हैं |ISRO और NASA के संयुक्त मिशन Axiom-4 में तीन अन्य एस्ट्रोनॉट भी शुभांशु शुक्ला के साथ जा रहे हैं | शुभांशु शुक्ला इस मिशन में कमांडर की भूमिका निभा रहे हैं |
इस मिशन में शुभांशु की अलावा एक- एक एस्ट्रोनॉट हंगरी,पोलैंड, और अमेरिका से भी है | axiom -4 मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में नई टेक्नोलॉजी को टेस्ट करना है , यह मिशन प्राइवेट स्पेस ट्रेवल को बढ़ावा देने की लिये भी है और एक्सिओम स्पेस प्लानिंग का हिस्सा है जिसे भविष्य में एक कमर्शियल स्पेस स्टेशन बनाने की योजना भी है | अंतरिक्ष में रहते हुए ये एस्ट्रॉनॉट्स 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ़्तार से धरती की परिक्रमा करेंगे | यह मिशन तकरीबन 14 दिनों का रहेगा | इसके बाद क्रू वापिस धरती पर लौट आएगा |
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