samachaartime.com

(SCO) शंघाई कोऑपरेशन आर्गेनाईजेशन 2025 , राजनाथ सिंह की वजह से फिर चर्चा में क्यों ?

SCO  मीटिंग, किंगदाओ ( चीन ):-

दिनांक 26 जून 2025, जगह क़िंगदाओ ( चीन ) , शंघाई  कोऑपरेशन आर्गेनाइजेशन के अंतर्गत हर साल की तरह ही 10 मेंबर देशों के रक्षा मंत्रीयों की मीटिंग के बाद जॉइंट स्टेटमेंट जारी की जानी थी, जॉइंट स्टेटमेंट जारी करने से पहले सभी रक्षा मंत्रियों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं , हस्ताक्षर करने से पहले जॉइंट स्टेटमेंट ड्राफ्ट सभी रक्षा मंत्रियों की टेबल पर जाता है जिसे पढ़ने की बाद सभी अपनी अपनी  सहमती के बाद हस्ताक्षर करते हैं, अगर कोई मेंबर देश ड्राफ्ट से सहमत नहीं होता है तो वह  देश हस्ताक्षर करने से मना भी कर सकता है| इस अधिकार को Right to reject कहते हैं| भारत ने इसी अधिकार का प्रयोग करते हुए ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया |

हस्ताक्षर न करने की वजह :-

जॉइंट स्टेटमेंट को हस्ताक्षर न करने के पीछे भारत का अपना मजबूत तर्क है , इस ड्राफ्ट में आतंकवाद के मुद्दे पर पकिस्तान के बलूचिस्तान में बलोच लिब्रेशन आर्मी के द्वारा पकिस्तान आर्मी पर किये जाने वाले हमलों के निंदा करने के साथ साथ अभी कुछ महीने पहले ही बलोचिस्तान में जाफर एक्सप्रेस की हाईजैकिंग की कड़ी आलोचना तो की गयी थी , लेकिन भारत के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का जिक्र तक नहीं किया गया था |

भारत ने ड्राफ्ट में इस दोहरे रवैये का विरोध करते हुए हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया , भारत के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा की कुछ देश भारत के खिलाफ क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म को अपनी पॉलिसी बना कर बैठे हुए हैं , और SCO जैसे मंचों को ऐसे देशों की आलोचना करने पर दोहरा रवैया नहीं रखना चाहिए , इससे SCO की सार्थकता पर सवाल पैदा होते हैं |

इसके साथ ही राजनाथ सिंह ने भारत के ऑपरेशन सिन्दूर के बारे में बात करते हुए पाकिस्तान में स्थित आंतकवादी कैम्पों पर भारतीय सेना के द्वारा किये गए हमलों की भी जम कर तारीफ़ की |

SCO में इजराइल ईरान युद्ध पर चर्चा :-

SCO में 10 मेंबर देशों के रक्षा मंत्रियों की मीटिंग से पहले  13 जून 2025 को हुए विदेश मंत्रियों की मीटिंग में, अभी हाल ही में हुए इजराइल- ईरान युद्ध पर भी चर्चा हुई , और इजराइल द्वारा ईरान पर किये गए हमले की भी कड़ी निंदा की गई | भारत के  विदेश मंत्रालय द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया की क्योंकि भारत ने SCO  में इजराइल- ईरान पर किसी भी तरह की चर्चा में भाग नहीं लिया है इसलिये भारत इस मसले पर अपना रुख निरपेक्ष रखेगा | 

SCO  है क्या ?

SCO शंघाई कोऑपरेशन आर्गेनाइजेशन असल में 1996 में गठित शंघाई 5 का उत्तराधिकारी है , 1996 में 5 देशों चीन, कजाकिस्तान , किर्गिस्तान ,रूस, तजाकिस्तान के द्वारा एक राजनैतिक, आर्थिक और रक्षा मामलों के लिये एक समूह स्थापित किया गया, जिसे शंघाई 5 कहा गया | साल 2001 में इस समूह का नाम शंघाई 5 से बदल कर शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनिज़शन किया गया |

भारत ने साल  2017  में SCO ज्वाइन किया| SCO का मुख्यालय बीजिंग ,चीन में स्थित है और इसका secretarait  ताशकंद  उज़्बेकिस्तान  में स्थित है | 

शंघाई  5 :-

26 APRIL 1996 को चीन के शंघाई में 5 देशों की राष्ट्र अध्यक्षों अपने अपने देशों के सीमाबरती इलाकों में सेना की तैनाती कम करने और आपस में पारस्परिक सहयोग को बढ़ाने के लिये हस्ताक्षर किये| इन् 5 देशों के समूह ने खुद को शंघाई 5 कहा|

CHINA 26 APRIL 1996
RUSSIA 26 APRIL 1996
KAZAKHSTAN 26 APRIL 1996
TAJIKISTAN 26 APRIL 1996
KYRZYZSTAN 26 APRIL 1996   
UZBEKISTAN 15 JUNE 2001
INDIA 9 JUNE 2017
PAKISTAN 9 JUNE 2017
IRAN 4 JULY 2023
BELARUS 4 JULY 2024

इससे पहले 20 मई 1997 को रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन और चीन के राष्ट्रपति जियांग जैमिन ने मल्टीपोलर वर्ल्ड के डिक्लेरेशन पर हस्ताक्षर किये | बेलारूस SCO में 10 वां स्थाई सदस्य बना | 

SCO में अब आगे क्या ?

SCO में अब सबकी निगाहें जुलाई में होने वाली विदेश मंत्रीयों की मीटिंग के साथ साथ अगस्त – सितम्बर में होने वाली राष्ट्र अध्यक्षों की मीटिंग पर होगी , इसमें देखने वाली बात ये होगी की भारत के कंसर्नस को मेंबर देश किस तरह डील करते हैं | इसके साथ साथ नई दिल्ली को भी अब यह तय करना होगा की हम अपने संदेश दुनिया तक किस रूप में पहुंचा रहे हैं | ऑपरेशन सिन्दूर के बाद भारत ने 32 अलग अलग देशों में अपने डेलीगेट्स भेजे थे, लेकिन उनमें कोई भी SCO देश शामिल नहीं था |

इस ग्रुप को (जो की एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय ग्रुप है ) छोड़ना भी भारत के लिये लाभदायक नहीं होगा, क्योंकि ऐसा करने से पकिस्तान जैसे देश चीन के साथ मिलकर अपना प्रोपेगेंडा दुनिया में और अच्छे से फैला सकेंगे जो की भारत के दृष्टि से नुक्सान का सौदा होगा |

Exit mobile version