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जिंदगी खुल के जीना मांगती है |

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डिजिटल डेस्क ( नई दिल्ली):-

सम्पादन :- अश्वनी चौहान


परिचय :-

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अक्सर अपनी खुशियों और सपनों को पीछे छोड़ देते हैं | लेकिन सच्चाई यह है की जिंदगी खुल कर जीने को बनी है | यह केवल सांस लेने का काम नहीं है, बल्कि हर पल को महसूस करने , हंसने, सीखने और आगे बढ़ने का नाम है |

दिल्ली की 28 वर्षीय अनुजा एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती थी | उसका दिन सुबह 8 बजे ऑफिस और रात 10 बजे घर लौटने तक भागदौड में ही बीतता था | बढ़िया सैलरी , बड़ा फ्लैट और हर सुख सुविधा होने के बाबजूद उसके चेहरे पर मुस्कान गायब हो चुकी थी | कभी कभी अगर समय मिल जाता था तो अक्सर वो अपनी पुरानी यादों में खो कर खुश हो जाती थी | सारी सुख सुविधा होने के बावजूद भी कहीं न कहीं उसने अपने आप को नापसंद करा शुरू कर दिया था |

दुनिया के सामने वो एक बेहद पढ़ी लिखी , सौम्य और पैसेवाली थी और ये सच भी था| लेकिन अनुजा कहीं न कहीं ये सब पाकर भी उस खुशी से अपनी आप को दूर पा रही थी जो इन सब सुविधाओं के होते हुए भी उसके पास नहीं थी | एक दिन ऑफिस जाते समय उसकी मुलाक़ात सरोजिनी आंटी से हुई , जो 65 साल की उम्र में भी पार्क में साइकिल चला कर  एक्सरसाइज कर रही थी और बच्चों के साथ खेल रही थी |

अनुजा को बड़ी हैरानी हुई इस उम्र में इतनी ऊर्जा ? उसने हैरानी जताते हुए सरोजनी आंटी से पुछा | सरोजिनी आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा  ”  बेटा , जिंदगी सिर्फ कमाने और जिम्मेदारियों में उलझने का नाम नहीं है | यह हर पल को जीने और महसूस करने का नाम है | जब तक जिंदा हो, दिल से जियो |

यह सुन कर अनुजा को लगा की शायद उसकी जिंदगी में जिस चीज की कामी थी वो यही है , वो खुल कर जीना भूल चुकी है | उस दिन से उसने छोटी छोटी चीजों में ख़ुशी ढूंढ़ना शुरू की | उसने सुबह सुबह पार्क में सैर करना शुरू किया , हर वीकेंड किसी नये शौक को जैसे की पेंटिंग , डांस को  सीखना शुरू किया , दोस्तों और परिवार के साथ ज्यादा समय बिताना शुरू किया | धीरे धीरे उसने महसूस किया की वो मानसिक तौर पर काफी हल्का महसूस कर रही है और उसका आत्मविश्वास और जीवन के प्रति उसका उत्साह भी लौटने लगा है |

अनुजा अब कहती हैं की ” जिंदगी खुल कर जीना मांगती है बस हमें हिम्मत करके पहला कदम उठाना पड़ता है|

दिल्ली की ही एक और नौकरी पेशा महिला 32 वर्षीय मीरा 2 बच्चों की मां , उनके पति की विदेश में नौकरी होने की वजह से वे अकेले ही घर पर अपनी नौकरी की साथ साथ बच्चों का भी ख्याल रखती थी | हर दिन सुबह 5 बजे उठना , बच्चों को स्कूल भेजना , ऑफिस जाना , शाम को खाना बनाना – यही उसकी दिनचर्या बन चुकी थी |

मीरा के चेहरे पर हल्की सी थकान हमेशा से ही बनी रहती थी | उसके दोस्तों ने उससे कई बार कहा – मीरा अपने लिये भी टाइम निकालो , कभी हमारे साथ भी घूमने चलो , हंसो खेलो लेकिन हर बार मीरा का एक ही जबाब  होता ” फुरसत  कहाँ है , जिम्मेदारियां बहुत है | 

एक दिन उसकी 8 साल के बेटी ने बड़ी मासूमियत से कहा – ” मम्मी आप कभी हंसती क्यों नहीं  है ? आप पहले बहुत हंसती थी ” यह सुन कर मीरा की आँखें भर आई | यह सुनकर उसको याद आया की वो कभी गाती भी थी , घूमना फिरना भी उसका शौक था वो ये सब भूल चुकी है |

मीरा ने तय किया के वो धीरे धीरे अपनी जिंदगी में बदलाव लाएगी और फिर से जीना शुरू kregi | इसके बाद उसने फिर से अपने बच्चों के साथ पिकनिक जाना शुरू किया , सुबह का कुछ समय योग और ध्यान के लिये बचाया , अपने पुराने शौक दोबारा शुरू किये |

इससे उसकी जिंदगी में दोबारा बदलाब आने लगे | वो फिर से खुश रहने लगी और बच्चों ने भी जब अपनी माँ को हँसते मुस्कुराते देखा तो उनकी खुशी भी 4 गुना हो गई| अब  मीरा ने भी खुल कर कहना शुरू कर दिया है ” जिंदगी खुल कर जीना मांगती है ” जिम्मेदारियों के बीच खुद के लिये भी वक़्त निकलना जरूरी है तभी आप सच में खुश रह सकते हैं |


क्यों जरूरी है खुल कर जीना ?

  1. मानसिक शांति मिलती है – जब हम बिना डर और झिझक की जीवन जीते हैं , तो हमारे मन में सकरात्मक ऊर्जा बनी रहती है |
  2. रिश्तों में मिठास आती है – खुलकर जीने वाले लोग अपने रिश्तों को ज्यादा समय और प्यार दे पाते हैं |
  3. आत्मविश्वास बढ़ता है – हर नया अनुभव आपके अंदर आत्मविश्वास भरता है |

खुलकर जीने के 5 आसान तरीके :-

  1. सपनों को प्राथमिकता दें – रोजमर्रा की व्यस्तता में भी अपने शौक और पैशन के लिये समय निकालें |
  2. सकरात्मक सोच अपनाएं – नकारात्मकता छोड़ कर छोटी छोटी खुशियों को महसूस करें |
  3. खुद से प्यार करें – सेल्फ केयर को अपनी दिनचर्या में शामिल करें |
  4. नए अनुभव लें – नई जगह घूमना , नये लोगों से मिलना और नई स्किल सीखना जीवन को रंगीन बनाता है|
  5. आभार व्यक्त करें – जो आपके पास हैं उसके लिये शुक्रगुजार रहें |

निष्कर्ष :-

जिंदगी खुल कर जीना मांगती है यह सिर्फ एक विचार नहीं है , बल्कि एक जीवनशैली है | हर दिन को एक नई शुरुआत समझें और अपने सपनो को खुल कर जीना शुरू करें |



 

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