अल्बर्टा ( कनाडा ) :– अभी हाल ही में कनाडा के शहर अल्बर्टा में ग्रुप ऑफ़ 7 (G7) की मीटिंग संपन हुई, G7 देशों के शिखर सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा निति, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक आर्थिक नियंत्रण जैसे विषयों पर चर्चा करना होता है| 2023 में जारी आंकड़ों के अनुसार G7 देशों की वैश्विक जीडीपी में हिस्सेदारी 29.3% है, जबकि ब्रिक्स देशो की हिस्सेदारी 37.4% है और समय के साथ इन देशों की हिस्सेदारी बढ़ने के आसार ज्यादा हैं |
G7 ग्रुप में मुख्यतः पूर्ण रूप से विकसित देश आते हैं | कनाडा, इटली, फ्रांस, अमेरिका, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन इस समूह के मूल सदस्य हैं | भारत को g7 शिखर smmeln में एक अतिथि देश के रूप में aamntrit किया jata है और इस naate भारत G7 के charchaaon में भाग लेता है | भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया , साउथ अफ्रीका, मेक्सिको, ब्राज़ील, साउथ कोरिया , यूक्रेन को भी इससे अतिथि देशों के रूप में बुलाया गया था| G7 का नाम पहले G8 हुआ करता था लेकिन 2014 में रूस के द्वारा क्रीमिया पर किये गए कब्जे के कारण सदस्य देशों के द्वारा रूस को इस ग्रुप से बाहर कर दिया गया था जिससे इस ग्रुप का नाम G7 हो गया|
फ्रांस के राष्ट्रपति Emmanuel Macron के द्वारा सोशल मीडिया साइट X पर डोनाल्ड ट्रम्प के जल्दी मीटिंग से जाने का कारण इजराइल और ईरान के बीच ceasfire करवाना बताया गया जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति के द्वारा अपने सोशल मीडिया Truth social पर ख़ारिज कर दिया गया | G7 जैसे बड़े स्टेज पर इन वर्ल्ड लीडर्स के द्वारा के जाने वाली ऐसी हरकतें इस समूह के भविष्य के लिये अच्छी खबरें नहीं है और वो भी उस दौर में जब दुनिया में ब्रिक्स जैसा संघठन मजबूती के साथ अपना प्रभाव बढ़ा रहा है |
ब्रिक्स समुह :- 6-7 जुलाई 2025 को ब्राज़ील के Rio de Janeiro में ब्रिक्स के अगली मीटिंग होने वाली है| साल 2001 में ब्रिटिश अर्थशास्त्री जिम औ नील के द्वारा ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन की उभरती अर्थव्यवस्ताओं को वर्णन करने के लिये पहली बार इस BRIC टर्म का इस्तेमाल किया गया था | इसके बाद 16 जून 2009 में इस ग्रुप की स्थापना हुई, साल 2010 में साउथ अफ्रीका को इस ग्रुप में शामिल किया गया जिससे इस ग्रुप का नाम ब्रिक्स बन गया | 16 जून 2009 को रूस के येकातेरिनबर्ग में इस ग्रुप के पहली मीटिंग हुई |
ब्रिक्स का प्रभाव आने वाले समय में बढ़ना तय है अगर इस ग्रुप में शामिल कुछ देश आपसी मसले सुलझा लेते हैं , इनमे मुख्यतः भारत चीन सीमा विवाद है , चीन के विस्तारवादी नीति और भारत के कई हिस्सों पर अपना अधिकार बताना चीन को बंद करना पड़ेगा नहीं तो इससे आपस में भरोसा नहीं पनप पाएगा और यह स्थिति इस समूह के लिये बिलकुल भी अच्छी नहीं होगी , इसके अलावा ब्राज़ील और साउथ अफ्रीका में समय समय पर उत्तपन होने वाली राजनैतिक अस्थिरता और रूस उक्रैन के बीच लगातार चल रहा युद्ध भी इस समूह के बढ़ते हुऐ प्रभाव को कम करने का खतरा पैदा कर रहा है |