samachaartime.com

2025 का मॉनसून इतना कहर क्यों ढा रहा है ?

डिजिटल डेस्क ( नई दिल्ली ) :-

सम्पादन :- अश्वनी चौहान

2025 का मॉनसून पहाड़ी राज्यों के लिये किसी कठिन परीक्षा से कम साबित नहीं हो रहा है | भारी बारिश, भूस्खलन, बादल  फटना और अचानक आई बाढ़ ने उत्तराखंड , हिमाचल प्रदेश, जम्मू -कश्मीर और उत्तर पूर्वी राज्यों ख़ास कर असम और मेघालय के लोगों की जिंदगी को अस्त-व्यस्त  कर दिया है | मौसम वैज्ञानिकों का कहना है की जलवायु परिवर्तन के कारण मॉनसून का स्वरुप और भी अप्रत्याशित होता जा रहा है |


उत्तराखंड : नदियों का रौद्र रूप

उत्तराखंड में गंगा और उसकी सहायक नदियाँ उफान पर हैं | तेज बारिश से ऋषिकेश और हरिद्वार में जलस्तर  खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है | केदारनाथ और बदरीनाथ मार्ग कई बार बाधित हो चुका है, जिससे हजारों यात्री फंस गए हैं | लगातार हो रहे बारिश से प्रदेश  के कई इलाकों  में जान माल का भी kafi नुक्सान hua है |


हिमाचल प्रदेश : भूस्खलन का केहर

हिमाचल प्रदेश के शिमला ,मंडी ,किन्नौर जिलों में लगातार हो रहे भूस्खलनों ने सड़कों और पुलों को भरी नुक्सान पहुँचाया है| मौसम की मार हिमाचल प्रदेश के पर्यटन उद्योग के साथ साथ सेब की फसलों पर भी पड़ी है | अगस्त के महीने में सेब की फसल तैयार हो जाती है और हिमाचल प्रदेश के कई जिलों से सेब सड़क माध्यम से देश के दूसरे हिस्सों में पहुँचाया जाता है|

लेकिन इस बार हो रही बारिश और उसके साथ हो रहे भूस्खलन के साथ सेब के किसानो के चिंताएं भी बढ़ गयी हैं | दिल्ली से मनाली जाने वाला नेशनल हाईवे  भी कुल्लू के आगे कई किलोमीटर तक ब्यास नदी के तेज बहाव के कारण बह गया है , जिससे स्थानीय लोगों के साथ साथ पर्यटक भी कई जगह फंस गए हैं | मौसम bibhaag की माने तो आने वाले कुछ दिनों तक बारिश से रहत नहीं मिलेगी |


उत्तर -पूर्वी राज्य : बाढ़ और जनजीवन पर असर :-

असम और मेघालय में अगस्त के पहले हफ्ते तक मॉनसून की बारिश में भरी कमी देखी गयी| जहाँ असम में यह कमी 37 % तक रही वहीँ मेघालय में यह कमी 45 % तक पहुँच गई| 7 और 8 अगस्त को असम और मेघालय में भरी बारिश हुई इसके बाद 11 से 14 अगस्त तक भी पूर्वोत्तर भारत में भारी बारिश का दौर देखा गया |

अगस्त 2025 में अगर असम और मेघालय में बारिश की स्थिति की बात की जाए तो यह मिश्रित और असामान्य रही| शुरूआती दिनों में बारिश की कमी ने कृषि और इंफ्रास्ट्रक्चर को प्रभावित किया, जबकि मध्य और अंत के दौरों में अचानक भारी बारिश की घटनाओं ने आपदा प्रबंधन को चुनौती  दी|


बादल फटना और अचानक बाढ़ :-

2025 के मॉनसून का सबसे डरावना पहलू cloudbrust यानी बादल का फटना रहा है | पहाड़ी इलाकों में बादल फटने से नदियाँ पल भर में प्रलय का रूप ले लेती हैं | इस से स्थानीय लोगों में रात और दिन को भय का माहौल बना रहता है | इस कारण ग्रामीण इलाकों की सड़कें टूट जाती हैं और जान माल का भी नुक्सान हो जाता है |


सरकार और आपदा प्रबंधन की चुनौतीयां :-

राज्य सरकारें और NDRF ( नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फाॅर्स ) की टीमों ने राहत और बचाव कार्यों में अहम भूमिका निभाई है| लेकिन पहाड़ी राज्यों की भौगौलिक स्थिति और लगातार बदलते मौसम पैटर्न के कारण आपदा प्रबंधन में बड़ी चुनौतियां सामने आ रही हैं| 


जलवायु परिवर्तन और समाधान :-

विशेषज्ञ मानते हैं की जलवायु परिवर्तन के कारण मॉनसून असंतुलित और चरम रूप ले रहा है और आने वाले सालों में स्थितियां और ज्यादा विनाशकारी होने वाली हैं | अगर समय रहते स्थितियों को नहीं संभाला गया तो विनाश निश्चित है| इन सब से बचने के लिये विशेषज्ञ कुछ समाधान सुझाते हैं |

. बेहतर पूर्वानुमान प्रणाली

. सतत विकास और मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर 

. अत्यधिक वर्षा झेलने के क्षमता बढ़ाना 

. स्थानीय स्तर पर आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण 

इन सब को अपनाना ही भविष्य में ऐसे संकटों निपटने का रास्ता है |


निष्कर्ष :-

2025 का मॉनसून पहाड़ी राज्यों के लिये एक बड़ी चेतावनी है | यह सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा ही नहीं , बल्कि मानव और प्रकृति के बीच sntuln के कम्मी का संदेश है | आने वाले बर्षों में अगर सही कदम नहीं उठाए गए तो पहाड़ों में रहने वाले लोगों के जिंदगी लगातार खतरों में रहेगी या फिर इससे भी बुरा पहाड़ों में रहना ही असंभव हो जाएगा |



 

 

Exit mobile version